यह तस्वीर देखिये! उसमें एक साधू अपने लिंग से एक कार खीच रहा है और
कार में कुछ अन्य साधू हैं। साथ साथ भक्त लोग चलते दिख रहे हैं। चित्र प्रयागराज
की कुंभ मेले के दौरान की है।
लिंग से कार खिंचता एक साधू
उसी पोस्ट में लिखा है, “विज्ञान कहता है इस ब्रह्मण्ड में कोई शक्ति चमत्कार नही यहां बिना कारण कुछ नही घटता। लेकिन ये साधु लिंग से गाड़ी खींच सकता है तो पहाड़ के भी दो टुकड़े कर सकता है। कोई शक।”
पहली दफा यह लगता है कि साधू के किसी चमत्कार करने की बात पर भक्त लोग
श्रद्धालु हुए जा रहे हैं। लेकिन यदि आप ठहरकर तर्कशील ढ़ंग से सोचेंगे और समझने का
प्रयास करेंगे, तो इस चित्र से भक्तों की अंधश्रद्धा आपको साफ़ दिखेगी। आप सीधे और
आसान तर्क लगायें कि जिस कार को साधू खिंच रहा है, उसकी खोज भारत में नहीं हुई। कार
बनाना विज्ञान का काम है, लिंग से गाड़ी खीचने के बेवकूफाना कार्य करना ढ़ोंगी
बाबाओं का।
भारत में ऐसे ही नौटंकी और चमत्कार करते ढ़ोंगी लोगों की एक बड़ी तादात है। वे
यहाँ की जनता की गाढ़ी कमाई को ऐसे ही चमत्कारों और ढ़ोंग से प्रभावित कर, हड़पने की
कला में माहिर हैं। यदि कोई अपनी लिंग से गाड़ी खींच रहा है, तो यह चमत्कार नहीं
विकृति है। लिंग के वैसे भी मूलतः तीन कार्य है- सेक्स कर आनंद प्राप्त करना,
पेशाब करना और नई संतान पैदा करने के लिए महिला की योनी में प्रविष्ट हो शुक्राणु
को अंडाणु से मिलवाना।
वैसे भी एक साधू आप किसे कहते हैं? जो अपने आचरण में नेक दिल हो, लोगों के
प्रति करुणा और प्रेम की भावना रखता हो। ध्यान करता हो और अपनी ज्ञानेद्रियों को
संयमित कर अपनी उर्जा के मानवता की बेहतरी के लिए लगाता हो। यह लिंग से कार खींचना
एक व्यक्ति को साधू बनाता है अथवा उसका करुणाशील होना? यह आपको सोचना चाहिए।
यह भीड़ जो ऐसे साधुओं के पीछे लोटपोट करते हैं न, ऐसे लोगों के कारण ही कोई
बाबा बलात्कारी होने, अपराध में संलिप्त होने आदि को शह मिलता है। ऐसे बाबाओं को
पता है कि यहाँ की मुर्ख जनता, ध्यान, प्रेम, इंसानियत आदि से प्रभावित नहीं होतो।
वे प्रभावित होते हैं, समोसा खिलाकर बच्चे पैदा करने की बात से या जीभ में सुई
घोंपने से, आग पर चलने से, बर्फ पर सोने आदि से।
दरअसल भारत की अधिकांश जनता ऐसी ही है, भीड़ का हिस्सा। एक गाय को चार की जगह
पांच पैर आ गये अथवा एक बच्चे को सिर में हड्डी आ गई, अथवा दो की जगह चार हाथ आ
गए, तो उसे देवी माँ का चमत्कार बनाते देर नहीं लगती। ऐसे लोगों से भरा पड़ा है,
हमारा यह देश।
यहाँ लोग मोबाइल, कंप्यूटर, इन्टरनेट आदि जैसे वैज्ञानिक खोजों से लोग प्रभावित नहीं होते, लिंग से कार खींचे जाने से प्रभावित होते हैं। वह इसलिए क्योंकि हम अपनी बेवकूफी पर हंस सकें और विश्वगुरु की झूठी बात में गर्व कर सकें।
यहाँ लोग मोबाइल, कंप्यूटर, इन्टरनेट आदि जैसे वैज्ञानिक खोजों से लोग प्रभावित नहीं होते, लिंग से कार खींचे जाने से प्रभावित होते हैं। वह इसलिए क्योंकि हम अपनी बेवकूफी पर हंस सकें और विश्वगुरु की झूठी बात में गर्व कर सकें।