भारत में नृत्य की अंधेरी-उजली दुनिया पर अन्ना मारकॉम की किताब

जब तक नाच गाने में पैसा नहीं थीं, तब तक नट और कंजर जैसी जातियों की लड़कियां नाचती थीं। नाचने-गाने वालियों को नीची नजर से देखा जाता था। फिर इस धंधे में पैसा आ गया और फिर इज्जत भी आ गई। कला संगीत अकादमियां बनीं। अरबों का बजट आ गया। नृत्य और संगीत के समूह विदेश यात्रा पर जाने लगे। फिर माधुरी दीक्षित से लेकर अनुष्का शर्मा और सोनल मानसिंह, करीना कपूर और प्रियंका चोपड़ा नाचने लगीं। शुरुआत शायद शर्मिला टैगोर और हेमा मालिनी के दौर में हुई।




पढ़िए एक जरूरी किताब

पहले कौन नाचता था? अब कौन नाचता है? फिल्मों में पहले वेश्याओं की बेटियां और कर्नाटक संगीत में देवदासियों की संताने नाचती-गातीं थीं। या फिर पारसी और ईसाई परिवार की लड़कियां रोल करती थीं। कई बार तो शुरुआती फिल्मों में लड़कों से लड़कियों के रोल कराए गए।

फिर सब कुछ कैसे बदल गया

शास्त्रीय संगीत और नृत्य के नए उस्तादों ने किस तरह वेश्या परिवारों की लड़कियों को शिष्या बनाने से इनकार कर दिया।

बहुत कुछ है इस किताब में

अन्ना मारकॉम यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में पढ़ाती हैं और भारत में नृत्य की अंधेरी और उजली दुनिया पर रिसर्च करती हैं। उनकी किताब ‘कार्टीजन्स, बार गर्ल्स एंडडांसिंग बॉयज’ पढ़ने लायक है। भारत में ऐसे रिसर्च नहीं होते। 


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