अक्सर बीच बीच में अख़बार में देखने को मिल जाता है, “अमुक गाँव में एक महिला को डायन कह कर हत्या कर दी गयी” “महिला को डायन बताकर गाँव भर नंगा घुमाया गया” “महिला को मैला पिलाया गया और डायन कह कर पीटा गया” आदि। गाँव में खासकर विधवा महिला, अकेली महिला, जिसके पास जमीन हो और कोई देखने वाला नहीं हो आदि डायन कह कर सतायी अथवा मारी जाती हैं।
पुरुषों के इस प्रकार डायन होने की घटना बहुत
ही कम देखी गई है। सोचिये ऐसा क्यों? गाँव के प्रमुख, दबंग लोग की शह देने से अथवा
कई बार उनके द्वारा ही साजिस कर के उनपर जादू और टोना-टोटका करने का आरोप मढ़ा जाता
है। किसी की गाय मर गयी अथवा किसी बच्चा को कुछ हो गया, तुरंत गाँव की डायन कह कर
किसी खाश महिला पर निशाना साधा जाता है।
सोचिये! क्या गुजरती होगी उस महिला पर, जिसपर
पूरा मोहल्ला अथवा गाँव ऐसे आरोप लगाता रहता है। अरे भाई महिलाओं के पास बिगाड़ने की शक्ति होती, तो बनाने
की भी शक्ति होती ना? वो अपने लिए दौलत और शोहरत नहीं बनातीं,
अपनी निर्धनता दूर नहीं करतीं?
अपने लिए सुन्दर
घर, अच्छी-सी कार, सोने के गहने, जमीन
आदि नहीं बनातीं? किसी व्यक्ति के पास ऐसी कोई शक्ति अथवा
चमत्कार करने की क्षमता होती, तो वह पहले अपना जीवन नहीं बेहतर करती? यूँ सबकी
गाली, उलाहना और आरोप सहती क्या?
इसलिए हमारा कहना है कि उनपर यकीन मत करो। ये
डायन, चुड़ैल, भूत आदि सब मन के वहम हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए किसी बाबा के
पास जाने की ज़रूरत नहीं है। बल्कि जरुरत है उसे समझने की। यह सोचो कि डायन जैसी
बातें सभी देशों में नहीं पाई जाती हैं, क्यों?
चीन में तो भूत छोडिये, वहां भगवान
को भी विश्वास करने वाले लोगों की संख्या कम है। स्वीडन, स्कॉटलैंड, नॉर्वे आदि
जैसे देशों में तो नास्तिकों की संख्या
बहुत बढ़ रही है। लेकिन वहां शिक्षा, स्वस्थ्य, सम्पन्नता आदि भारत से बहुत अधिक।
इसलिए इन भूत, डायन आदि अंधविश्वास के चक्कर से निकलो और अपने दिमाग का इस्तेमाल
करो।
– शेषनाथ वर्णवाल