Corona न ईश्वर की परवाह करता है, न आपके गॉड और अल्लाह की।


AyatollahHashem Bathayi ईरान में धार्मिक नेता था। कोरोना से मारा गया। बहुत से पादरी इटली में मारे गए। चीन में तो नास्तिक भी मारे गए। भारत में कोई अवतार बचाने नहीं आ रहा। सब लोग घरों में कैद हैं।

जो लोग सोचते हैं कि ईश्वर-अल्लाह-गॉड उसको बचा लेगा। वह नहीं समझ पा रहा कि Corona न ईश्वर की परवाह करता है, न आपके गॉड और अल्लाह की। वह बस आपके सैनिटाइजर, मास्क और वैक्सीन से मर या दूर रह सकता है। वह परवाह करता है कि आप किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में न आयें, जिनको उसका संक्रमण है। बात बस इतनी सी है।

प्रकृति में हैजा आया, प्लेग आया, HIV आया, पोलियो आया। हर बार विज्ञान ने लोगों को उसका समाधान दिया। बेशक विज्ञान ने कई गलत चीजें भी बनायीं। परमाणु बॉम्ब, कई मिसाइल, तरह तरह के हथियार, खतरनाक रसायन आदि। लेकिन विज्ञान न अच्छा होने का दावा करता है, न बुरा। हाँ उसका सही इस्तेमाल किया गया तो अच्छा होगा, बुरा इस्तेमाल किया गया तो बुरा। जैसे अगर बुखार हुआ है और आप घाव का दावा खा लेंगे, तो काम नहीं करेगा। हो सकता है रिएक्शन भी हो जाए। इसी तरह परमाणु शक्ति से आप बिजली भी बना सकते हैं, और बॉम्ब भी। यह इन्सानों पर है कि वे कैसे विज्ञान की ताकत का इस्तेमाल करते हैं।

आज हर कोई बीमार होने पर एंटी बायोटिक खाता है। चाहे वह भक्त हो या तर्कशील। लोग अपने बच्चों का टीकाकरण करते हैं। और यह लगभग सब पर बिना भेदभाव किए काम करता है।

ये सब दवाई आपका धर्म, जाति, आस्तिक, नास्तिक आदि देख कर काम नहीं करती। दिन में आप कितना बार घंटा बजाते हैं या नमाज पढ़ते हैं। अथवा रविवार को चर्च जाते हैं या नहीं उसपर भी भेद नहीं करता।

विज्ञान और प्रकृति किसी के साथ भेदभाव नहीं करती। आज भी जब कोरोना वायरस का प्रकोप आया है, तो उससे बचने के लिए लोग मास्क लगा रहे हैं, Sanitizer प्रयोग कर रहे हैं। कोरोना की टेस्ट के लिए कीट भी प्रयोग कर पता कर रहे हैं कि किसे है और किसे नहीं।

एक बात आपको समझना पड़ेगा कि विज्ञान न भ्रम है और न चमत्कार। यह काम करता है कुछ प्रक्रिया और नियम पर। साथ ही संसाधन और समय चाहिए होता है वैज्ञानिकों को शोध के लिए। हर बार नई समस्या आती है, तो विज्ञान ही उसका हल निकालता है। कोई पुरोहित या भगवान नहीं। उसमें समय लगता है। अभी कोरोना की रोकथाम के लिए विज्ञान ने दवा बना भी ली है। अभी टेस्ट चल रहा है। फिर बाजार में वैक्सीन्स आ जाएंगे। हाँ समय बेशक लगेगा। और बनायेगा भी वही देश या कहें उसी देश के वैज्ञानिक जहाँ के कोशिश कर रहे हैं और सरकार साधन मुहैया करवा रही है। बाद में भले धर्मगुरु दावा कर लें कि फलाने ग्रंथ में देखो यह दवाई पहले से लिखा था।

भारत तो अबतक टेस्ट कीट भी नहीं बना पाया है, बांग्लादेश जैसा देश आने वाले दस दिन में बना लेगा और उसकी कीमत आएगी मात्र 3 डॉलर। क्यों आपको पता है। विज्ञान के खोज इसकी परवाह नहीं करते कि आप किस महान देश से हैं, या किस महान धर्म से हैं। अगर आप काम करेंगे, तो वह कई असफलता के बाद भी परिणाम देगा।

कोरोना के इलाज़ के लिए vaccine बनने में बेशक समय लगेगा, क्योंकि यह मुश्किल काम है। घंटा बजाना, नमाज़ पढना, अखंड कीर्तन-यज्ञ करना आसान है। सबकुछ आपका ईश्वर-अल्लाह गॉड ठीक कर देगा, यह सोच रखना भी आसान है। भले ही यह बेवकूफी, भ्रम और आलसपन के सिवा कुछ नहीं है।

यह बात हम ऐसे ही नहीं कह रहे हैं। आप ही बताईये। इतने लोग ईरान में मर गए कोई अल्लाह आया क्या? इतने लोग इटली में मर गए कोई गॉड आया क्या आया क्या ? इतने लोग भारत में मर गए किसी ने अवतार नहीं लिया? नहीं न !

इसलिए अल्लाह, गॉड, ईश्वर मात्र भ्रम है। इससे मानवता जितना जल्द निजात पा ले और यह स्वीकार कर ले कि इंसान ही इंसान की मदद कर सकता है, उतना ही अच्छा है।


इस लेख की तस्वीर प्रतीकात्मक। यह दिल्ली के कनॉट प्लेस की है और सोशल मीडिया से लिया गया है। 
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